दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं जैसे बिछड़े हुये काबे में सनम आते हैं||

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं

मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ



यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।।


 

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